मैं ना हासिल होउंगा।
शीर्षक- मैं ना हासिल होउंगा। बंद हुए दिल के दरवाजे रूह से दाखिल होउंगा मुझे पता है तेरी दुआओं में मैं शामिल होऊंगा ले आई है चाहत तेरी मुझको यार तेरे दर पर लेकिन इतनी आसानी से मैं ना हासिल होउंगा । दिल ये साफ हो रूह पाक हो मन में मैल कभी ना हो वह कहती है यार तभी मैं उसके काबिल होउंगा याद में उसके खोकर बच्चों जैसे सो जाता हूं रहकर उसके ख्वाब में उसकी नींद का कातिल होऊंगा। आया था जब गांव तेरे तो मैं भी बहुत ही आलिम था सोचा ना तेरे प्यार में पड़कर मैं भी जाहिल होउंगा चोट हमें पहुंचाते हो और दर्द भी खुद सह जाते हो तेरे हर इक वार से यारा अब तो गाफिल होऊंगा आंखों में खुद आंसू भर कर आप हमें समझाते हो दर्द तुम्हारे सहने को मैं खुद ही चोटिल होंउंगा जंग हमेशा लड़ता रहा हथियार नहीं डाले मैंने नहीं पता था सामने उसके मैं भी काहिल होऊंगा। उसकी मुस्कानों से पूरी महफिल में रौनक आए खुशबू और चमक से उसके मैं भी झिलमिल होउंगा कुछ लोगों की बुरी नजर से उसको बचाने की खातिर उसके गोरे चेहरे पर मैं ही काला तिल ह...