ऐसी हिंदी हमारी है।।

 शीर्षक - ऐसी हिंदी हमारी है।।


कवियों की लेखनी से बहती झर झर निर्मल प्यारी है 

गंगा जल सी पावन देखो ऐसी हिंदी हमारी है ।

मां की लोरी, बहन की डांट, और पिता की यारी है 

दादी की परियों की कहानी ऐसी हिंदी हमारी है ।।


यह तुलसी, कबीर, गौतम ,केशव, भूषण की वाणी है 

प्रसाद, पंत, निराला कह गए ऐसी हिंदी हमारी है ।

महादेवी जी के गीतों में इस की शोभा न्यारी है 

छंद नरोत्तम ने लिख डाले ऐसी हिंदी हमारी है ।।


चेतना हिंदी में है और हिंदी में वेदना सारी है 

भाव, व्याकरण और आचरण ऐसी हिंदी हमारी है। 

हिंदी में स्वागत करते हिंदी वैवाहिक गारी है 

वागेश्वरी चरण में अर्पित ऐसी हिंदी हमारी है ।।


संगम हिंदी, साधना हिंदी, हिंदी सब पर भारी है 

ग़ालिब की गज़लों में दिखती ऐसी हिंदी हमारी है ।

सुभद्रा की खूब लड़ी मर्दानी पर सब वारी है 

हल्दीघाटी जो लिख डाले ऐसे हिंदी हमारी है ।।


हिंदी नदी का मीठा जल बाकी सागर सी खारी है 

अमृतमयी भाव रखती जो ऐसी हिंदी हमारी हैं। 

बचपन में जै करना सीखें अल्लाह अल्लाह पुकारी है 

जनमानस का मेल कराती ऐसी हिंदी हमारी है।।


सुं‌‌दर, सरल, मनोरम, मीठी, ओजस्विनी दुलारी है 

कालजयी जो कहलाती है ऐसी हिंदी हमारी है।

संतों की वाणी मीरा के काव्य की ये फुलवारी है 

सब भाषा को गले लगाती ऐसी हिंदी हमारी है।। 


आदिकाल, आधुनिक हो ये कश्मीर से कन्याकुमारी है 

दसों दिशाएं गुंजित इससे ऐसी हिंदी हमारी है ।

चले गए अंग्रेज हिंद से अंग्रेजी की बारी है 

हिंदुस्तान के दिल में बसती ऐसी हिंदी हमारी है।।


हो फ़कीर, लेखक या सन्त सबने ही यह उच्चारी है 

सब भाषा को बहन मानती ऐसी हिंदी हमारी है। 

मां का "एहसास" दिलाती ममता प्रेम की ये अधिकारी हैं 

बचपन में बोलना सिखाती ऐसी हिंदी हमारी है।।


- अजय एहसास

सुलेमपुर परसावां

अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)

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