हाय ये चाय ।।

 चाय प्रेमियों को समर्पित

चाय एक शाकाहारी नशा है

तो क्यों न शराब की बजाय चाय को जज़्बातों से जोड़ा जाय

तो अर्ज़ किया है

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एक तेरा ख़याल ही तो है मेरे पास.

वरना कौन अकेले में बैठे कर चाय पीता है ।

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आज लफ्ज़ों को मैने शाम की चाय पे बुलाया है

बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है ।

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ठान लिया था कि अब और नहीं पियेंगे चाय उनके हाथ की

पर उन्हें देखा और लब बग़ावत कर बैठे ।

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मिलो कभी चाय पर फिर क़िस्से बुनेंगे

तुम ख़ामोशी से कहना हम चुपके से सुनेंगे !

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चाय के कप से उड़ते धुंए में मुझे तेरी शक्ल नज़र आती है

तेरे इन्ही ख़यालों में खोकर, मेरी चाय अक्सर ठंडी हो जाती है।

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हल्के में मत लेना तुम सांवले रंग को

दूध से कहीं ज़्यादा होते हैं शौक़ीन चाय के।

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फिज़ां में घुल रही है महक इलायची की

आज बारिश भी चाय की तलबगार हो गई।

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अदाएं तो देखिए जनाब चायपत्ती की

ज़रा दूध से क्या मिली शर्म से लाल हो गई ।




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