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Showing posts from June, 2021

उल्टी के कारण एवं उपचार

वमन शरीर शुद्धि की क्रिया भी तो व्याधि का लक्षण भी,जानिए उल्टी के कारण, प्रकार और उपचार रोग एक उपचार अनेक यह तो सिर्फ आयुर्वेद के घरेलू परम्परागत दादी नानी के चिकित्सा पैथी में ही सम्भव है वो भी दुष्प्रभाव रहित उल्टी | vomiting खाने-पीने में गड़बड़ी, पेट में कीड़े होना, खांसी, जहरीले पदार्थों का सेवन करना तथा शराब पीना आदि कारणों से उल्टी आती है। यह कोई बड़ा रोग नहीं है बल्कि पेट की खराबी का ही एक कारण है। जब कभी कोई अनावश्यक पदार्थ पेट में अधिक एकत्रित हो जाता है तो उस अनावश्यक पदार्थ को निकालने के लिए पेट प्रतिक्रिया करती है जिससे पेट में एकत्रित चीजे उल्टी के द्वारा बाहर निकल जाता है। कभी-कभी अधिक उल्टी होने से रोगी के शरीर में पानी की कमी होने के साथ अधिक कमजोरी आ जाती है। विभिन्न भाषाओं में नाम : हिंदी          वमन (उल्टी)। अंग्रेजी        उल्टी। पंजाबी        बमी। कन्नड़        वान्ति। मद्रासी        छर्दि। तेलगु         वान्तुलु। असमी      ...

नमक का कमाल

"नमक के बारे में रोचक तथ्य" किसी ने क्या खूब लिखा है “नमक की तरह हो गई है जिंदगी लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते है”. शायद ही कोई ऐसा आदमी होगा जिसने नमक का स्वादानुसार इस्तेमाल ना किया हो. हमारे भोजन का एक अहम हिस्सा है नमक. आज हम आपको नमक के बारे में बेहद रोचक तथ्य बताने जा रहे है… 1. भारत नमक पैदा करने के मामले में विश्व में नंबर 3 पर है. भारत 70% नमक समुंद्र के पानी से बनाता है. 28% भूमिगत पानी से और 2% नमक झीलों के जल और नमक की चट्टानों से बनता है. 2. भारत में हर साल 24 मिलियन टन नमक का उत्पादन होता है और भारत को हर साल 18 मिलियन टन नमक की आवश्यकता होती है. 2020 तक भारत का लक्ष्य है 40 मिलियन टन नमक का उत्पादन करना. 3. भारत में जितने नमक का उत्पादन होता है उसका 35% ही खाने के लिए प्रयोग होता है. 4. भारत में सेंधा नमक का एकमात्र स्त्रोत हिमाचल प्रदेश में स्थित मंडी है. 5. भारत की आजादी से पहले नमक की इतनी कमी थी कि इसे दूसरे देशो से आयात करना पड़ता था. लेकिन आज भारत लगभग 20 देशों में 5 मिलियन नमक निर्यात करता है. 6. यदि सोडियम के कणों को क्लोरिन गैस के साथ मिला दिया जाए ...

चार बातें ||

१. चार बातों को याद रखे :- बड़े बूढ़ो का आदर करना, छोटों की रक्षा करना एवं उनपर स्नेह करना, बुद्धिमानो से सलाह लेना और मूर्खो के साथ कभी न उलझना ! २. चार चीजें पहले दुर्बल दिखती है परन्तु परवाह न करने पर बढ़कर दुःख का कारण बनती है :- अग्नि, रोग, ऋण और पाप ! ३. चार चीजो का सदा सेवन करना चाहिए :- सत्संग, संतोष, दान और दया ! ४. चार अवस्थाओ में आदमी बिगड़ता है :- जवानी, धन, अधिकार और अविवेक ! ५. चार चीजे मनुष्य को बड़े भाग्य से मिलते है :- भगवान को याद रखने की लगन, संतो की संगती, चरित्र की निर्मलता और उदारता ! ६. चार गुण बहुत दुर्लभ है :- धन में पवित्रता, दान में विनय, वीरता में दया और अधिकार में निराभिमानता ! ७. चार चीजो पर भरोसा मत करो :- बिना जीता हुआ मन, शत्रु की प्रीति, स्वार्थी की खुशामद और बाजारू ज्योतिषियों की भविष्यवाणी ! ८. चार चीजो पर भरोसा रखो :- सत्य, पुरुषार्थ, स्वार्थहीन और मित्र ! ९. चार चीजे जाकर फिर नहीं लौटती :- मुह से निकली बात, कमान से निकला तीर, बीती हुई उम्र और मिटा हुआ ज्ञान ! १०. चार बातों को हमेशा याद रखे :- दूसरे के द्वारा अपने ऊपर किया गया उपकार, अपने द्वारा दूसरे पर...

बुढ़ापे का प्यार

बुढ़ापे को भी प्यार चाहिए। मोहन बेटा ! मैं तुम्हारे काका के घर जा रहा हूँ . क्यों पिताजी ? और आप आजकल काका के घर बहुत जा रहे हो ...? तुम्हारा मन मान रहा हो तो चले जाओ ... पिताजी ! लो ये पैसे रख लो , काम आएंगे । पिताजी का मन भर आया . उन्हें आज अपने बेटे को दिए गए संस्कार लौटते नजर आ रहे थे । जब मोहन स्कूल जाता था ... वह पिताजी से जेब खर्च लेने में हमेशा हिचकता था , क्यों कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी . पिताजी मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से घर चला पाते थे ... पर माँ फिर भी उसकी जेब में कुछ सिक्के डाल देती थी ... जबकि वह बार-बार मना करता था । मोहन की पत्नी का स्वभाव भी उसके पिताजी की तरफ कुछ खास अच्छा नहीं था . वह रोज पिताजी की आदतों के बारे में कहासुनी करती थी ... उसे ये बडों से टोका टाकी पसन्द नही थी ... बच्चे भी दादा के कमरे में नहीं जाते , मोहन को भी देर से आने के कारण बात करने का समय नहीं मिलता । एक दिन पिताजी का पीछा किया ... आखिर पिताजी को काका के घर जाने की इतनी जल्दी क्यों रहती है ? वह यह देख कर हैरान रह गया कि पिताजी तो काका के घर जाते ही नहीं हैं ! !! वह तो स्टेशन पर एकान्त म...

पत्नी को कोरोना।

 बहुत मजाक बनाते हैं सब पत्नी का ! लेकिन जब पत्नी कोरोना से बीमार हुई तब एक पति की क्या हालत हुई पढ़िए एक पति की व्यथा ! आज तुम्हें अस्पताल छोड़कर घर आया जैसे ही! ऐसा लग रहा था मानो अपना एक हिस्सा छोड़ आया हूं कही दूर ! अस्पताल जाते समय तुम्हें देख रहा था बेबस सा ! तुम्हारी तकलीफ जानकर भी कुछ कर नहीं पा रहा था ! आज पहला ऐसा मौका था जब तुम मुझे संभालने की बजाय खुद बेसुध थीं! पूरे रास्ते में मैं यही सोच रहा था कि कितनी आसानी से तुम मुझे संभाल लेती थीं हर बार और मैं एक बार भी कुछ नहीं कर पा रहा ! डाक्टरों ने जब मुझे बाहर  जाने को कहा तो ऐसा लगा तुम निकल गई हो मेरे भीतर से ! मुझे शरीर के हिस्से को काटने सा दर्द हुआ पर मैं किससे कहता ! कैसे रोता ? मैं आदमी हूं ना ! घर की दहलीज पर कदम रखते ही पैर कांपने लगे मेरे, मैं वहीं पर बैठ गया ! थोड़ी देर बाद जब बच्चों को पता चला तो वह बाहर आये मुझे भीतर ले गये ! मैं चुपचाप एक छोटे से बच्चे के समान उनके दिशानिर्देशों का पालन करने लगा ! अगर तुम अभी यहां होतीं तो मैं कोई शासक की भांति भीतर कदम रखता ! मैं यह भी जानता हूं तुम्हारे घर से दूर जाते ...

वाणी पर नियंत्रण रखें

  वाणी पर नियंत्रण रखे. . एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है। . यह बात दूर - दूर तक फैल गई आस - पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। . नौजवान परेशान हो गया कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था। . तभी गाँव में चोरी की एक वारदात हुई और शक उस नौजवान पर गया उसे गिरफ्तार कर लिया गया। . लेकिन कुछ दिनों के बाद सबूत के अभाव में वह निर्दोष साबित हो गया। . निर्दोष साबित होने के बाद वह नौजवान चुप नहीं बैठा उसने बूढ़े आदमी पर गलत आरोप लगाने के लिए मुकदमा दायर कर दिया। . पंचायत में बूढ़े आदमी ने अपने बचाव में सरपंच से कहा.. . मैंने जो कुछ कहा था, वह एक टिप्पणी से अधिक कुछ नहीं था किसी को नुकसान पहुंचाना मेरा मकसद नहीं था। . सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा... आप एक कागज के टुकड़े पर वो सब बातें लिखें, जो आपने उस नौजवान के बारे में कहीं थीं.. . ...और जाते समय उस कागज के टुकड़े - टुकड़े करके घर के रस्ते पर फ़ेंक दें कल फैसला सुनने के लिए आ जाएँ.. . बूढ़े व्यक्ति ने वैसा ही किया.. . अगले दिन सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा कि फैसला सुनने से पहले आप बाहर जाएँ और उन कागज के टुकड़ों को....

धर्म क्या है?

 सबसे पहले तुममें शांति होनी चाहिए। और तब, जब तुममें शांति होगी, तब तुम इस संसार से शांति बनाओ! और जब तुम इस संसार से शांति बनाओगे, तब जाकर के इस संसार के अंदर शांति होगी। क्योंकि इस संसार में अशांति का कारण तुम्हीं हो। इस संसार के अंदर जो अशांति फैली हुई है, वह अधर्म के कारण फैली हुई है। अधर्म जो मनुष्य करता है, क्योंकि उसको यही नहीं मालूम कि वो कौन है। उसको ये नहीं मालूम कि वो शेर है या बकरी ? कौन है वो ? उसको नहीं मालूम! और अधर्म होता है। सबसे पहला धर्म क्या है ? सबसे पहला धर्म जो मनुष्य ने बनाया, वो धर्म है — दया होनी चाहिए, उदारता होनी चाहिए। इसीलिए तो इन सब चीजों का वर्णन हर एक धार्मिक धर्म में मिलता है। चाहे वो हिन्दू हो, चाहे वो मुसलमान हो, चाहे वो सिख हो, चाहे वो ईसाई हो, चाहे वो बुद्धिष्ट हो! किसी भी धर्म का हो, सभी धर्मों में ये सारी चीजें बराबर हैं। उदारता होनी चाहिए, दया होनी चाहिए, क्षमता होनी चाहिए, क्षमा होनी चाहिए! ये है तुम्हारा धर्म! और जब तुम क्षमा नहीं करते हो, जब तुम दया नहीं करते हो, तुम अधर्म करते हो! इस अधर्म — नरक की बात छोड़ो! नरक की बात छोड़ो! क्यों छोड़ो ?...

परिवार

 परिवार मनुष्य जीवन की सबसे प्रमुख और सबसे प्रथम इकाई होती है। जिसमें माता-पिता के रूप में स्वयं वो निराकार ब्रह्म, साकार रूप में विराजमान रहता है।। सच ही कहा गया है। कि जिस घर में माँ-बाप हँसते हैं, उसी घर में भगवान बसते हैं।। संस्कारों से परवरिश और परवरिश से परिवार का परिचय मिल जाता है, एक आदर्श परिवार के बिना एक आदर्श जीवन का निर्माण कदापि संभव ही नहीं मानव जीवन के संस्कारों की प्रथम पाठशाला का नाम ही परिवार है। जिस प्रकार पहाड़ से टूटा पत्थर और पेड़ से गिरा पत्ता कभी सलामत नहीं रह सकते हैं, उसी प्रकार परिवार से बिछड़ा व्यक्ति भी कभी सलामत नहीं रह सकता। बिना भाई के साथ के रावण जैसा महाबली भी हार जाता है।। और भाई का साथ पाकर वनवासी होने पर भी श्री राम जीत जाते हैं। इसलिए अपने अहम का त्याग करके सदा परिवार के साथ मिलकर रहने का प्रयास करना चाहिए।। एक लकड़ी अकेले आसानी से टूट जाती है। और उन्हीं लकड़ी को जब बंडल बनाकर तोड़ने लगते हैं।। तो बहुत मुश्किल और कठिन हो जाता है। इसी प्रकार जब हम अकेले पड़ जाते हैं। तो कोई भी आसानी से हमें तोड़ सकता है।। मगर एक होते ही तोड़ने वाला स्वयं टूट जा...