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Showing posts from May, 2021

बेटी से गृहणी।।

 एक बेटी जब ससुराल जाती है वो बेटी का चोला छोड़ गृहणी बन जाती है जो बातें घर पर अम्मा से कहती थी ससुराल में छिपा जाती है। थोड़ा सा दर्द होने पर बिस्तर पकड़ने वाली बिटिया अब उस दर्द को सह जाती है तकलीफें बर्दाश्त कर जाती है पर किसी से नहीं बताती है। सिरदर्द होने पर  जो अम्मा से सिर दबवाती थी अब खुद ही तेल या बाम लगाती है पर किसी से ना बताती है। पहले पेटदर्द होने पर पिता जी से तमाम महंगी दवाइयां मंगाती थी पर अब पेट पर कपड़ा बांधकर घुटने मोड़ पेट में लगाकर लेट जाती है लेकिन उसके पेट में दर्द है यह बात किसी को ना बताती है। उसकी रीढ़ उसकी कमर पर पूरा घर टिका है उसके खुश होने पर पूरा घर खुश दिखा है झुककर पूरे घर में झाड़ू लगाना बैठे बैठे बर्तन कपड़े धोना खाना बनाना पानी से भरी बीस लीटर की बाल्टी उठाना कभी गेहूं कभी चावल बनाना छत की सीढ़ियों से जाकर कपड़े सुखाना आखिर कितना बोझ सहती है पर किसी से कुछ ना कहती है। जब थककर कमर दर्द से चूर हो जाती है तो कमर के नीचे तकिया लगाकर सो जाती है दर्द हंसते हंसते सह जाती है पर मदद के लिए किसी को न बुलाती है घरों में काम करते करते दौड़ते दौड़ते चकर...

कुछ भी ना भाये।।

  तू तो मुझको याद है चाहे, याद मेरी तुझे न आये इतना सदा याद रखना कि, तुझ बिन कुछ भी ना भाये। बरसातें ये रिमझिम रिमझिम, कतरा कतरा यादें हैं बारिश की बूंदों सी टिप-टिप, आंख से गिरते वादे हैं थोड़ा भी ना बदल सके हम, आज भी कितने सादे हैं पक्के थे ईमान के जैसे, वैसे नेक इरादे हैं आंखों की बरसात देखकर, बरसाते भी थम जायें इतना सदा याद रखना कि, तुझ बिन कुछ भी ना भाये। दुनिया मुझको बुला रही पर , गया नहीं मैं कुछ पाने खैरातों में मिला बहुत कुछ, नहीं गया कुछ भी लाने तुझको अपना माना मैंने , तू मानें या ना मानें दिल की अपने मैंने कह दी, तेरे दिल की तू जाने देख उतरकर दिल में मेरे, ख्वाब ये कैसे सज जायें इतना सदा याद रखना कि, तुझ बिन कुछ भी ना भाये। पानी में पानी मिले जैसे, ऐसे हमको घुला दिया बिस्तर पर जाते थे जब, ख्वाबों में आकर सुला दिया बात किये बिन नींद न आती, कैसे हमको भुला दिया आंख में अपने आंसू लाकर, तूने हमको रुला दिया रखना इसको बहुत संभलकर, ये मोती न बह जाये इतना सदा याद रखना कि, तुझ बिन कुछ भी ना भाये। छोड़ दें दुनिया की बाते , ये दुनिया तो हरजाई है अपने भी तो साथ छोड़ते, काम ये किसके ...

मालिक एक।।

  कोई गीता समझता है कोई कुरआन पढ़ता है मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है। वो तेरे पास ऐसे है, हृदय में श्वास जैसे है जो उनका बन ही जाता है, ये बस वो ही समझता है। कोई गीता समझता है कोई कुरआन पढता है, मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है। धर्म मजहब के नामों पर कई आपस में लड़ते है। कई अल्लाह कहते है, कई भगवान कहते है। वो मालिक एक है, उसने सभी को एक माना है। नहीं हिन्दू मुसल्माँ सिक्ख, बस मानव ही जाना है। कोई गीता समझता है कोई कुरआन पढ़ता है, मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है। गुरु नानक कबीर यीशु सभी संदेश देते एक चमन है एक हम सबका, और मालिक है सबका एक कई रंगो के फूलों से,चमन वो ही सजाता है। रहे सब मिल के आपस में यही मालिक बताता है। कोई गीता समझता है कोई कुरआन पढ़ता है मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है।।

आ जा तू आनलाइन।।

 राहें हैं आनलाइन, बाहें हैं आनलाइन आहें हैं आनलाइन, निगाहें हैं आनलाइन ये भी है आनलाइन, वो भी है आनलाइन तूं भी है आनलाइन, मैं भी हूं आनलाइन जब सब है आनलाइन तो फिर कैसी दीवार आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।। ह्वाटसप का देखो जमाना है आया आओ आनलाइन उसने हमसे बताया प्रेषित करें संदेश हो कोई शिकवा या गिला संदेश देख उसका दिल को सुकूं मिला दिन रात सुबहो शाम अब संदेश देखूं यार आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।। घरवाले भी न जाने कि क्या कर रहे हैं हम कब कह दिया कि प्यार बहुत करते हैं सनम गर फोन काल करते तो फिर जान जाते सब इस बात का बिल्कुल भी नहीं डर रहा है अब मां बाप के ही सामने कर देते हैं इजहार आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।। करती है विडियो कालिंग और मुस्कुराती है मिलने की आस दिल में वो ऐसे जगाती हैं जादू की झप्पी दे कभी देती है फ्लाइंग किस नेटवर्क हुआ गायब सब है टाय टाय मिस नेटवर्क ने ही कर दिया अपना मिलन बेकार आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।। रातों में नींद खुलते ही हो जाय आनलाइन फादर मदर डे भूला याद रहा वैलेंटाइन आनलाइन का टाइम दिया था एक बजे का देखा तो समय हो चुका...

वो मुझे नहीं मिलती।।

  ढूंढता हूं जिसे कि, वो मुझे नहीं मिलती चाहता हूं जिसे कि, वो मुझे नहीं मिलती दर्द का रिश्ता हमारा रहा है सदियों से दुकां में ढूंढी खुशी, वो मुझे नहीं मिलती।। मिली जो पहली नजर, वो मुझे नहीं मिलती रखा था जिसकी खबर, वो मुझे नहीं मिलती तरस गये है अब दीदार उसका पाने को नज़र जो ढूंढे नज़र, वो मुझे नहीं मिलती।। शराफत उसकी गज़ब, वो मुझे नहीं मिलती नज़ाकत उसकी गज़ब, वो मुझे नहीं मिलती हाथों से चेहरा ढका था जो उसने शरमाकर हया थी उसकी गज़ब,वो मुझे नहीं मिलती।। अब तो मुस्कान गज़ब,वो मुझे नहीं मिलती थी मेरी जान गज़ब, वो मुझे नहीं मिलती उसकी फितरत थी अलग सोचने की आदत थी जो थी इन्सान गज़ब, वो मुझे नहीं मिलती।। आंखों में आब गजब, वो मुझे नहीं मिलती संजोया ख्वाब गजब, वो मुझे नहीं मिलती हटा के रुख से अपने परदा अदब फरमाया की जो आदाब गजब, वो मुझे नहीं मिलती।। देखे मुड़ मुड़ के रस्ते, वो मुझे नहीं मिलती कटा सफर जो हंसते, वो मुझे नहीं मिलती सुनाया उसका जो किस्सा सभी फरिश्तों को तरसते हैं फरिश्ते, वो मुझे नहीं मिलती।। है उसकी सोच अलग, वो मुझे नहीं मिलती है उसकी खोज अलग, वो मुझे नहीं मिलती जिन्दगी जीने क...

हाय ये मास्क।।

  पर्दे पे परदा कर रुख हमसे छिपाये रखिए वक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।। लगा जरूरी तो आँखों से बात कर लेंगे पड़ी है परदे की आदत तो बनाए रखिए वक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।। मास्क ने छीन लिया सुर्ख होंठों की लाली रबर ने छीन लिया उसके कानों की बाली होंठ भी दिखते नहीं अब तो बात करने पर सुर्ख होंठों पे वो मुस्कान सजाए रखिए वक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।। हाय इस मास्क ने तो छीन लिया प्यार तेरा नहीं कर पाते है अब वैसे भी दीदार तेरा दिखे ना होंठ तेरे मास्क में छिपे हैं जो खुद को लोगों की नज़र से भी बचाए रखिए वक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।। अब तो सांसो की महक सांस से न मिल पाये जो सांस ले तो वो भी मास्क में ही सिल जाये हो गये अब तो काफी दिन तेरे नजदीक आयें बस मेरा प्यार कलेजे से लगाए रखिए वक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।। मारक ने छीन लिया होंठ मुस्कुराते हुए दिखे ना होंठ बात प्यार की बताते हुए न खोलो होंठ भला लफ्जों में क्या रखा है यूं ही आंखों से अपने प्यार जताए रखिए वक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।। मास्क ने छीन ली बाजार की लाली बिकते अब तो मुस...

थूको

 खाया पान भरा जो मुंह में सोचा थूक कहा आऊँ नाली के जब पास गया तो कीड़ा बोला हट जाऊँ उद्दल सामने आया वो और मुझे देखकर गुर्राया बहुत जोर से मुझको डॉटा और डॉटकर समझाया अगर थूकना ही है तुमको थूको उस शिक्षालय पर शिक्षा का स्तर जो गिराते थूको उस विद्यालय पर खाते पान चबाते गुटखा बीयर और सिगरेट फूंके बच्चों को गुमराह जो करते, ऐसे शिक्षक पर थूके मार रही जनता को जिन्दा उस मदिरालय पर थूको करे न्याय में उलट फेर तो उस न्यायालय पर थूको जनता का हक खा जाता थूको ऐसे परधान पर नेताओं पर प्रेम से थूको सरकारी संस्थान पर अरे थूकने की खातिर नेताओं की जनसभाएं है कभी तो उन पर भी थूको जो देते नकली दवाएं हैं उस अधिकारी पर थूको, जो बात आपकी न सुनते रिश्वतखोर पुलिस वाला हो उस पर क्यो तुम न थूके राष्ट्रवाद के नाम पे दंगा करने वालों पर थूको समाजवाद पे जाति का पंगा, करने वालों पर थूको बहुजन हिताय कहकर स्वजन हिताय करे उन पर थूको और नहीं कुछ कर सकते तो थूकने में तो ना चूको युवा शक्ति से खेल रही ऐसी सरकारों पर थूको देश मे रहकर नहीं देश के उन मक्कारों पर थूको गबन किया घोटाला जो उस भ्रष्टाचारी पर थूको आंखों में बस रह...

मैं हिन्दू तू मुसलमान।।

मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।। ईश्वर अल्लाह सबका है वो करता दुआ क़ुबूल ईश जिसे मैं कहता हूं तू कहता उसे रसूल तेरी रूह आत्मा मेरी दोनों एक ही मान मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।। भेद नहीं है मुझमें तुममें, ना ही फर्क ख़ुदा ‌मे है नफ़रत छोड़ मोहब्बत कर लें, जो इन्सानी अदा में है अल्लाह ने जो बोला है, ईश्वर का वही फरमान मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।। मेरे लिए तू दर्पण है, मैं तेरे लिए हूं आईना इक दूजे के बिना है मुश्किल, कायनात में इस जीना तुझसे मेरी बहारें है, और मुझसे तेरी शान मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।। तू अज़ीज़ है मुझको जितना, तुझको उतना हूं प्यारा ऐसा लगता रूह एक है, तू मेरा मैं तेरा सहारा तेरा मेरा लहू एक ,हम इक दूजे की जान मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।। ले ली शपथ है मैंने और तू भी कर ले इकरार मै...

इन दिनों

सुनते हैं आ गया है नया साल इन दिनों कुछ की बदल गयी है देखो चाल इन दिनों जो हाथ मिलाते थे अदब से करें आदाब अब पूछते नहीं हमारा हाल इन दिनों सुनते हैं आ गया है नया साल इन दिनों।। क्या बात है मचा है क्यो बवाल इन दिनों पूंजीपती ही देखो मालामाल इन दिनों सड़कों पे उतरते हैं क्यों दम तोड़ते किसान क्यो कर रहे किसान को बेहाल इन दिनों सुनते हैं आ गया है नया साल इन दिनों।। सबका ही सो गया भविष्य काल इन दिनों सुनते हैं इक नया कोरोनाकाल इन दिनों मरते रहें मजदूर साहबान क्या करें मखमल की सेज पर करें धमाल इन दिनों सुनते हैं आ गया है नया साल इन दिनों।। दीपक जला दिये हैं पीटे थाल इन दिनों खुलते न थे जो हाथ ठोंके ताल इन दिनों क्या क्या न किया हमने तुम पे करके भरोसा लेकिन हुए हैं देख लो कंगाल इन दिनों सुनते हैं आ गया है नया साल इन दिनों।। तपसी भी झेलते दिखे जंजाल इन दिनों उलझे हैं सुन्दरी के रूप जाल इन दिनों साधू हो या फ़कीर या हो औलिया कोई किरदार पर ही उठ रहे सवाल इन दिनों सुनते हैं आ गया है नया साल इन दिनों।। इस ठंड में खुद का रखो ख्याल इन दिनों चादर फटी पुरानी रख संभाल इन दिनों कपड़े खरीदने की भी हिम्मत...

कृषक सुन्दरी

  प्रिय आइ गयी जब खेतन में, समझो हरियाली आइ गयी है धानी चुनर सिर पर धारयो, सौन्दर्य तुम्हारि बढ़ाइ गयी है जौ दाना पानी लै आई, सब दूरि धरयो इक कोने मा बस एक झलक वाकी जौ दिखी, सब भूखि पियास बुझाइ गई है देखि हंसी अधरन पै जब, तब सारी थकान भुलाइ गई है जब होंठ खुली दुइ बात किहीं, सब ही अवसाद हेराइ गई है जब बेगि हवा कै तेज चला, तब पल्लू सिर से उड़़ाइ गई है केश दिखे घनघोर घटा, ज्यों बादरि उमड़त आइ गई है अधरन कै मुस्कान से ही, मन में खुशियाली आइ गई है धनुहीं सम ई अधरन से, ऊ तीरै अइसन चलाइ गई है हाथ कुदाली छूटि गई, अउ घायल हमके बनाइ गई है ए हो तनी पानी पी लीं, सुनिकै मदहोशी छाइ गई है झुमकी पायल अब बनिहैं नया,जस अबकी फसल लहराइ रही है आभूषण हमार तुहीं बाट्या, अस ज्ञान उ हमके बताइ रही है प्रेम हृदय से आंखी मे आ, अखियां खुद ही भरराइ गई है खेते मा जइसे ही पांव पड़ा, जस कवनो देवी आइ गई है पांव महावर बाटै लगा, अउ धूरि दिखे शरमाइ रही है पांव में पाहुन तक न जुरै, ऊ नंगे पांव ही आइ रही है बाति करैं सुन्दरता की, रति रानी भी आंखि चुराइ रही है नाही मिटै इतिहासौ मा,अइसन पदचिन्ह बनाइ रही है तेज लिलार पै बा...

मैं पागल हूं, रहने दो।।

कुछ कहता हूँ कहने दो , मैं पागल हूं, रहने दो आँसू देख तेरे आंखों में मेरे अश्क भी बहने दो वो कहती है मैं पागल , मैं पागल हूँ रहने दो। उसकी कद्र मैं करता हूं, पीर मैं उसके समझता हूँ उसको अपना मानता हूँ, मन की बातें जानता हूँ राज खुले तो मैं पागल, मैं पागल हूँ रहने दो। उसका सब मुझ पर अर्पित है, मेरे लिए समर्पित है उसका समर्पण देखकर सुनकर हृदय ये गर्वित है और फिर कहती है मैं पागल, मैं पागल हूं रहने दो। मै सोता हूं वो जागती है दुआ मेरे लिए वो मांगती है पता नहीं क्या सोचती है, और आसमान में ताकती है फिर कहती है मैं पागल, मैं पागल हूँ रहने दो। मुसीबतों में वो है साहस, आंसू निकले तो कहती बस विचलित जब भी वो होती है,मैं हूं कहकर देता साहस खुद विचलित और मैं पागल, मैं पागल हूं रहने दो। नादान भी देखो कितनी है, फूलों के बचपन जितनी है छोटी सी बात पे रो देती, भावुकता उसमे इतनी है और कहती है मुझको पागल, मैं पागल हूँ रहने दो। वो मुझको पागल कहती ,मैं उसको कहता हूँ पगली गम हम दोनो ही छिपाते हैं मुस्कान भी देते है नकली कुछ पूछूं तो मैं पागल , मैं पागल हूँ रहने दो। जब भी मुझको होता बुखार, तो उसका ताप भी बढ़...

लोग रेप (बलात्कार) क्यो करते हैं?

 लोग रेप (बलात्कार) क्यूँ करते हैं? जबकि वैश्या के पास जाने का विकल्प उनके पास होता है लेकिन वो फिर भी रेप करते हैं क्या आपके दिमाग में कभी ये बात आई है कि लोग बलात्कार क्यूँ करते हैं जबकि वो चाहे तो एक वैश्या के पास जा सकते हैं लेकिन वो रेप ही करते हैं  इसका कारण जहां तक मैंने देखा है - आज कल के लोगों की मानसिकता ऐसी है कि लोग किसी को तड़पते हुए देखना ज्यादा पसन्द करते हैं  जैसे अगर कोई लड़की है तो वो उसका रेप करके ये प्रभाव डालने की कोशिश करते हैं कि तुम हमारे सामने कुछ नहीं हो और तुम्हें हम जब चाहे उठा सकते हैं कुछ भी कर सकते और उन्हें किसी को चिल्लाते हुए देखना और रोना अच्छा लगता है ताकि उन्हें लगे कि ये लड़की हमारे पैरों के नीचे है और हम जो कहेंगे वो ये करेगी क्यूंकि ऐसे लोगों को कोई पूछता तो है नहीं तो वो अपनी ऐसी मानसिकता लेकर ये काम करते हैं  इसका सीधा संबंध आप डार्क वेब के रेड रूम से लगा सकते हैं क्यूकि कहा जाता है रेड रूम में महिलाओ को अगवा कर रखा जाता है और फिर इन्टरनेट पर उन महिलाओ के साथ कुछ भी करने की बोली लगाई जाती है  और कुछ लोग पैसे देकर जो बोलत...