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आज़ादी का जश्न मनायें।।

  शीर्षक- आज़ादी का जश्न मनाएं ।। आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं । दी है जान वतन पर जिसने, उनको नहीं भुलाएं।। वीरों ने जो सपने देखें, पूरा कर दिखलाया और विदेशी गोरों को भारत से मार भगाया याद उन्हें कर अपना तिरंगा, नभ में हम फहराएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। जूझे थे जो भूख, विवशता, और जूझे कंगाली से गोरों से तो जूझते रहते बेकारी बेहाली से सोच सोच कर उनके समय को, आंखें नम हो जाएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। कमर कसी आज़ादी लेंगे, या फिर सिर कटवायेंगे वीरों ने खायी थी कसम , गोरों को मार भगायेंगे अपनी हक़ की खातिर लड़ना वीर हमें सिखलाएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। तब तो ना था जातिवाद ना धर्मवाद का झमेला चाह रहे सब दास मुक्त हो आज़ादी का मेला अखण्डता का ज्ञान दिया और सबको एक बनाएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। देख तिरंगा लहराता हमें नाज़ देश पर होता है सोचो आज़ादी पाने को एक वीर क्या खोता है हमको जीवित रखने को खुद अपने प्राण गंवाए आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। धरती ये अशफाक की है, विश्मिल सुभाष भी बेटे हैं हो शहीद आज़ाद, भगत, मां क...